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About Book : शास्त्रीजी के घर पर पहुंचते ही मौलवी ने उच्च स्वर में कहा, “यही है, यही वह काफिर है | पकड़ो, मारो मत, पकड़ो!” मोपला बंदूकों को उठाते हुए शास्त्रीजी के घर के उच्चांग स्थानों पर पहुंचे। बंदूकों की गर्जना सुनकर, आसपास के घरों में लोग भागने लगे, जो निरस्त्र होकर घायल हो गए थे। हरिहर शास्त्री भी दरवाजे बंद कर अंदर से उचित सवाल पूछे, “मौलवी, आपको क्या चाहिए? हम निरपराध ब्राह्मणों के घरों पर आप हमला क्यों कर रहे हैं? मोपला लोग अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर उठे थे, वे हमपर क्यों शस्त्र उठा रहे हैं?” मौलवी ने उत्तर दिया, “तुम अगर हमें अपनी सम्पत्ति सब कुछ दे दो, और तुम और तुम्हारे परिवार के सभी लोग इस्लाम को स्वीकार कर लो, तो हम तुम्हें हमारा मानेंगे। न केवल यही, मैं तुम्हारी सुंदर बेटी से शादी कर और तुम्हें इस खिलाफत राज्य में सम्मानित अधिकारी बना दूंगा।" इसी पुस्तक से स्वातंत्रवीर सावरकर की यह रचना मोपला विद्रोहकारियों द्वारा किए गए हिंदू नरसंहार के जीवंत चित्रण का विवेचन है, जो हर हिंदू के मन और आत्मा को झकझोरकर रख देगा। अगर अब भी हिंदू समाज जागरूक नहीं हुआ तो 1921 की घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सकती है।
- Publisher : Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
- Language : Hindi
- Paperback : 176 pages
- ISBN-10 : 935521314X
- ISBN-13 : 978-9355213143
- Item Weight : 270 g
- Dimensions : 22 x 14 x 2.5 cm