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About Book : वीर सावरकर द्वारा रचित '1857 का स्वातंत्र्य समर' है विश्व की पहली इतिहास पुस्तक, जिसे प्रकाशन से पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ।
इस पुस्तक का विशेष महत्व है कि सन् 1990 में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से 1947 में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्षों के दौरान इसके कई गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छापकर देश-विदेश में वितरित हुए।
भारत में इस पुस्तक को छिपाकर लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म का कार्य साबित हुआ। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई है। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता है। इसकी प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंतःकरणों में क्रांति की ज्वाला सुलग जाती है।
पुस्तक के लेखन से पहले सावरकर के मन में कई प्रश्न थे—क्या सच में सन् 1857 का यह घटनाक्रम हमें क्या सिखाता है? क्या यह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अलग-अलग दिशा में इस विद्रोह में शामिल हुए थे, या उनका कोई बड़ा उद्देश्य था? यदि हाँ, तो किसका? उस योजना का स्वरूप क्या था? क्या सन् 1857 एक पुराना अध्याय था या भविष्य के लिए प्रेरणादायक यात्रा?
भारत की आगामी पीढ़ियों के लिए 1857 का सन्देश क्या है? आदि। और यहीं परिणाम हैं इस ग्रंथ में—‘1857 का स्वातंत्र्य समर’! इसमें सम्पूर्ण भारत की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति का विवरण सहित ही एक आत्म-उत्तेजक, दिल छू लेने वाला, और प्रेरणादायक वर्णन है। प्रत्येक देशभक्त भारतीय के लिए इसे पठनीय और संग्रहणीय कृति माना जाता है!
- Publisher : Prabhat Prakashan
- Language : Hindi
- Paperback : 424 pages
- ISBN-10 : 9789386300089
- ISBN-13 : 978-9386300089
- Item Weight : 490 g
- Dimensions : 21.59 x 13.97 x 2.32 cm