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About Book :रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उम्र से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन उसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान नहीं रह सका। अपने शरीर को आप अपराध करने से रोक सकते हैं डॉक्टर, लेकिन आपका मन ? आपके मन में हो तो आपकी जिन्दगी है। दबी और कुचली हुई इच्छाओं तथा वासनाओं से तो मनुष्य की आत्मा भयानक सप से कलुषित हो जाती है। व्यक्ति के गुहातम मनोवैज्ञानिक चरित्र चित्रण के लिए सिद्धहस्त प्रख्यात लेखक श्री भगवतीचरण वर्मा ने इस उपन्यास में शरीर की भूख से पीड़ित एक आधुनिक, लेकिन एक ऐसी असहाय नारी की करुण कहानी कही है जो अपने अंतर के संघर्षों में दुनिया के सब सहारे गवा बैठी। रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उम्र से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन जिसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान् नहीं रह सका। शरीर के सतरंगी नागपाश और आत्मा के उत्तरदायी संयम के बीच हिलोरें खाती हुई रेखा एक दुर्घटना की तरह है, जिसके लिए एक ओर यदि उसका भावुक मन जिम्मेदार है, तो दूसरी और पुरुष की वह अक्षम्य 'कमजोरी' भी जिसे समाज 'स्वाभाविक' कहकर वचना चाहता है। वस्तुतः रेखा जैसी युवती के बहाने आधुनिक भारतीय नारी की यह दारुण कथा पाठकों के मन को गहरे तक झकझोर जाती है। (from this book)
About Author : Bhagwati Charan Verma
Language : Hindi.
Number of pages : 239.
Book Format : Paper Back.
Book genre : Literary Collections
ISBN NO. : 978-81-267-1677-7
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