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About book - सुमिता. - घंटी पर हाथ रखने से पूर्व में कई क्षण सोचती खड़ी रही। कितने बोझिल थे वे ठिठुरे क्षण कि मैं पसीने-पसीने हो आई। तो क्या लौट जाऊं यहीं से और फोन पर कोई बहाना बना दूं? जानती हूं वह सब व्यर्थ होगा क्योंकि तब अंतर में घुमड़ता धुआं और कड़वा हो उठेगा। अंतर में जो इतना तीव्र होकर घुमड़ता है उससे सांस घुट ही सकती है क्योंकि निकलने का मार्ग कहीं छोड़ा ही नहीं संस्कारों ने।"
नहीं, मैं नहीं लौटूंगी। अपने को पीड़ा देते-देते इतना थक गई हूं कि मुक्ति चाहती हूं और मुक्ति अपने को अनावृत करने में ही है। किए अनकिए कर्मों के दंड से कब तक कोई भागता रहेगा? शब्द अंदर रहते हैं तो सालते हैं, मुक्त हो जाते हैं तो साहित्य बन जाते हैं। जो नहीं देखा उससे हम आक्रांत क्यों रहते हैं? जो भोगा है उसे छिपाते क्यों हैं?''
न जाने कितनी-कितनी बार ऐसे ही जूझी हूं और टूटी हूं, कितनी कितनी बार अपने से बहस की है पाप-पुण्य की परिभाषा को लेकर कितनी-कितनी बार, पर एक बात में कभी नहीं कर पाई-अपने को अनावृत नहीं कर पाई. आज मैं वही करने का दृढ़ निचश्य करके यहां आई हूं। अपने को खोल देना चाहती हूं। उतार फेंकना चाहती हूं, संस्कारों के धुएं की चादर को। लेकिन अंतर में उमड़ता तुमुलनाद हर क्षण मुझे कातर से कातर क्यों कर जाता है? क्यों भरे रहते हैं हर रोज दैनिक पत्र बलात्कार की शर्मनाक घटनाओं से क्यों बुद्धिजीवी हर क्षण बहस करते हैं इस शब्द को लेकर? देश की संसद में भी गूंजता रहता है यही एक शब्द बार-बार, पर कहीं कुछ होता क्यों नहीं? शब्द, शब्द और शब्द क्रिया के बिना शब्द का अस्तित्व सार्थक हुआ है क्या? शायद ऐसा तो नहीं कि ये शर्मनाक घटनाएं पढ़कर हमें दर्द के स्थान पर एक रोमांचक अनुभूति होती है, 'काश हम न हुए की मुद्रा में ....इसलिए और भी कि प्रमाण के अभाव में अधिकांश अभियुक्त साफ छूट जाते हैं।"""
और वह क्या औरत नहीं थी जिसने कहा था, "मेरे साथ कई बार बलात्कार हुआ है। इसमें बुरा क्या है, मजा ही आता है।" ( इसी पुस्तक से)
About Author :Vishnu Prabhakar (1912 - 2009)was a Hindi writer. He had several short stories, novels, plays and travelogues to his credit. Prabhakar's works have elements of patriotism, nationalism and messages of social upliftment. He was the First Sahitya Academy Award winner from Haryana.
Language : Hindi
Book genre : Literary fiction novel
Nuber of pages : 421
Publisher : Kitabghar prakashan.
Book format - Paperback
ISBN : 978-81-89859-50-3.
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