Chanakya 7 Secrets of Leadership By Radhakrishna Pillai

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  • Author Name : Radhakrishnan Pillai

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About Book : ● यदि एक बुरा नेता अच्छा नेता बन जाये तो...? यह सम्भव है। जी हाँ, हमारा अगला प्रश्न होगा: कैसे? एक बुरे नेता को अच्छे नेता में बदलने के कई तरीके हैं साथ ही कई कर्मचारियों को नेतृत्व के लिये प्रशिक्षित किया जा सकता है। इस तरह यदि शीर्ष नेता की अचानक मृत्यु हो जाती है अथवा वह सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो उनका स्थान लेने के लिये कई विकल्प उपलब्ध होते हैं। इसके लिये आवश्यक है कि ऊपर से नीचे तक प्रत्येक कर्मचारी को प्रशिक्षित कर उसमें नेतृत्व के गुणों का विकास किया जाये।

सेना में कहा जाता है, कि "एक सैनिक जीवित रहते मैदान नहीं छोड़ता।” इसका अर्थ है युद्ध में किसी टुकड़ी के नेता की मृत्यु होने पर उनसे अगला व्यक्ति नेतृत्व सम्भाल लेता है और युद्ध जारी रखता है। यदि दूसरा व्यक्ति भी मारा जाता है तो पदानुक्रम में तीसरा व्यक्ति नेतृत्व सम्भाल लेता है। प्रत्येक परिस्थिति के लिये नेता तैयार करने की यह व्यवस्था सेना में अंतर्निहित है। आप आश्चर्यचकित हो सोच सकते हैं कि क्या कोई भी व्यक्ति नेता बन सकता है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि युद्ध के मैदान में लड़ने वाला प्रत्येक योद्धा जनरल नहीं होता, लेकिन पदानुक्रम में नीचे का योद्धा भी एक नेता की तरह सोचने के लिए प्रशिक्षित होता है। नेतृत्व, पद अथवा ओहदे से नहीं, अपितु व्यक्ति की कुशलता एवं अभिवृत्ति से जुड़ा गुण है।नवम्बर 26, 2008 को मुम्बई पर हुए आतंकी हमले से पुलिस सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओम्बले ने इसी तरह के नेतृत्व का परिचय दिया। वे सीने पर गोलियां झेलते हुए आगे बढ़े और अजमल कसाब को जीवित पकड़ लिया। ओम्बले ने अपने पद के विपरीत नेतृत्व का प्रदर्शन किया।इस आतंकी हमले में मुंबई पुलिस ने अपने 16 जवानों को खोया, जिनमें से दो भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे- हेमंत करकरे, आतंक विरोधी दस्ते के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, व अशोक कामटे अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर, पूर्वी संभाग। आईपीएस या भारतीय पुलिस सेवा भारतीय पुलिस के नेतृत्व की सर्वोच्च श्रेणी मानी जाती है। करकरे व कामटे दोनों ही सही मायने में नेता थे, जिनके पास सर्वोच्च प्रशिक्षण व पद था। अन्य 14 पुलिस इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर एवं कांस्टेबल के पदों पर थे। फिर भी इन सभी ने स्वयं को अग्रणी नेता सिद्ध किया। आज राष्ट्र इन सभी 16 नेताओं के बलिदान को नमन करता है, चाहे उनका पद कोई भी रहा हो। यह स्थितिजन्य नेतृत्व का कार्यकारी रूप है। इन अधिकारियों द्वारा संकट के समय आगे बढ़ कर नेतृत्व सम्भालने के पीछे रहा उनका प्रशिक्षण एवं उनकी अभिवृति। ध्यान देने योग्य एक और बात यह है कि कई अन्य ऐसे व्यक्ति भी रहे जो इस ऑपरेशन से जीवित बच निकले ये वे लोग भी वही हैं जिन्होंने आगे बढ़ कर स्थिति को सम्भालने का बीड़ा उठाया और अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। अत: हम कह सकते हैं कि चाणक्य के अनुसार एक नेता या स्वामी ऐसा व्यक्ति है जो पहल करता है और अपने उच्चतम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु बलिदान देने से पीछे नहीं हटता।

About Author : Radhakrishna Pillai

Book Format: PDF

Book Size: 2.87mb

Number of pages: 154

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