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About Book - नेल्सन मंडेला नाम है सतत संघर्ष का, कठोर-से-कठोर यातनाएँ भी जिसके आत्मबल को कुचलने में नाकाम रहीं। जिसने साबित कर दिया कि यातनाओं का अंबार लगानेवाली बड़ी-से-बड़ी ताकत को भी जन-आकांक्षाओं की संगठित शक्ति के सामने झुकना पड़ता है। जिसके ज्वलंत भाषणों व लेखन ने लाखों हृदयों में ऐसे शोले भड़काए, जिनकी आँच में दासता की लौह-श्रृंखलाएँ भी पिघल गई। मंडेला का करिश्माई नाम दक्षिण अफ्रीकी स्वाधीनता संघर्ष का पर्याय बन गया, जो आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का अजस्त्र स्रोत बना रहेगा।
रोहिल्लाहला (नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका के ट्रांस्की क्षेत्र के मैजो गाँव में हुआ था। यह सवाशे नदी के किनारे बसा छोटासा गाँव था। पहाड़ियों से घिरे, खूबसूरत वादियों व हजारों झरनोंवाले इस इलाके में प्रकृति ने अपनी सुंदरता दिल खोलकर बिखेरी थी। आधुनिक विश्व की हलचलों, आपाधापी, शोर शरावे और उठा-पटक से बेखबर शांत, एकांत कीड़ा-स्थली, जहाँ मंडेला के बचपन ने आजादी-ही-आजादी देखी स्वच्छंद विचरने की आजादी, संगी-साथियों के साथ नदी किनारे हुड़दंग मचाने और शरारतें करने की आजादी, खुली हवा में जी भरकर साँस लेने की आजादी, जिसमें किसी तरह की घुटन का एहसास न था। उत्पीडन, अन्याय, कदम-कदम पर रुकावटों की चुभन क्या होती है, इससे बेलाग सीधी-सादी जिंदगी, जिसे बालक मंडेला ने जी भरकर जिया।
Book Format: PDF
Book Size: 1.03mb
Number of pages: 71
Language: Hindi
Available for: Virtual book shelf & other plans only.
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