Aap Khud Hi Best Hain By Anupam kher

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  • Author Name : Anupam Kher

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  • About book : एक अभिनेता के रूप में, जिसके खाते में 450 से अधिक फिल्में हैं, मुझे दुनिया की सैर करने और विविध प्रकार के कामों में लगे सैकड़ों व्यक्तियों से मिलने का अवसर मिला, जिनमें राष्ट्रपति से लेकर आम आदमी; खरबपति से लेकर दरिद्र तक शामिल थे। मेरे लिए यह बहुत मायने रखता है, क्योंकि मुझे लोगों से मिलनाजुलना पसंद है। उनका विश्लेषण करना भी मुझे बहुत रोचक काम लगता है।असल में, मुझे लगता है कि मुझमें लोगों का विश्लेषण करने की क्षमता है। जब मैं उनसे बात करता हूँ, तो कभी कभी सोचता हूँ कि वे कैसा जीवन जी रहे होंगे, किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए होंगे, उनका परिवार कैसा होगा और क्या चीज उन्हें कामयाबी दिलाती है? निश्चित रूप से एक पेशेवर अभिनेता के रूप में मेरे व्यवसाय ने मुझे इस प्रक्रिया ने स्वयं को माँजने में मदद की है, क्योंकि अपने चरित्र को समझना और उसके अंदर घुसना आपके प्रदर्शन को अधिक विश्वसनीय बनाता है? परंतु मेरे लिए, दूसरों के विश्लेषण पर बात खत्म नहीं होती। मैंने लगातार खुद का विश्लेषण और अपने  आप को नए रूप में सामने लाने का प्रयास किया है। आप 50 फिल्मों में किसी चरित्र को, जैसे पिता का चरित्र, एक ही तरीके से नहीं निभा सकते। आपको भिन्न होना होगा और अपने आप को नया रूप देना होगा। और वह प्रक्रिया तभी शुरू होती है, जब आप अपने आप को फिर से खोजते हैं। मेरे लिए खुद को खोजने की वह प्रक्रिया तब शुरू हुई, जब कुछ वर्ष पहले मैं अपने नाटक 'कुछ भी हो सकता है' की योजना बना रहा था। यदि आप मेरी फिल्मों की संख्या देखें, तो मैं एक बहुत कामयाब अभिनेता था। मुझे मिली आलोचकों की सराहना और मेरे हिस्से में आए पुरस्कारों को देखें, तो वे मुझे एक बेहतर अभिनेता ही प्रमाणित करते हैं। शिमला में एक अवर श्रेणी लिपिक (लोअर डिविजन क्लर्क) के परिवार में पले, सपने देखनेवाले एक लड़के के रूप में, मैंने अपनी कल्पना से कहीं अधिक ख्याति और पैसा हासिल किया था। और फिर, जैसा कि हममें से अधिकतर के साथ होता है, सपनों ने मुझे अभिभूत कर लिया। मुझे ऐसा लगा कि मेरे पास जादुई शक्ति है और कुछ भी गलत नहीं हो सकता। एक दशक पहले के चलन के मुताबिक मैंने भी इस उद्योग के लिए 'सॉफ्टवेयर' बनाने के लिए एक सॉफ्टवेयर एक विशाल प्रोडक्शन हाउस स्थापित कर लिया । आरंभ में, मेरे पास काफी कामयाब टेलीविजन कार्यक्रम थे। उनसे संतुष्ट न होकर, मैंने और भी विविधता लाने का फैसला किया। मैं इवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में चला गया, क्योंकि उन दिनों वह सबसे आधुनिक व्यवसाय था और कई बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया। वही हुआ जो होना था। जल्दी ही, बहुत सारे प्रोडक्शनों और कार्यक्रमों, और हमारे व्यवसाय के अभिशाप खराब वित्तीय प्रबंधन के चलते आर्थिक स्थिति खराब हो गई। मुझे ऋणदाताओं के बहुत से मुकदमों का सामना करना पड़ा। तभी मैंने अपने आप को पुन: खोजा और अपना उपचार स्वयं करना शुरू किया। मैंने अपने आप पूछा से

• मैं महान् क्यों बनना चाहता था?

• मैं किस चीज की तलाश में था? पैसा या खुशी? या सिर्फ अपनी विरोधी प्रोडक्शन कंपनी से बड़ी हेडलाइन? 

इस प्रक्रिया में मुझे बहुत से सच मेरे सामने आए। और मैंने कई सिद्धांत बनाए, जो अपने एक्टिंग स्कूल 'ऐक्टर प्रिपेयर्स' (यह स्कूल मैंने 2005 में मुंबई में शुरू किया था) में लागू किए। आज, 'ऐक्टर प्रिपेयर्स' चंडीगढ़, अहमदाबाद और लंदन में भी चल रहा है। यह लोगों को अपनी तलाश करना सिखाता है।इस प्रकार मैंने अपने भीतर परिवर्तन' कॉन्सेप्ट की रचना की। इस खंड में मैं इस लाइफ कोचिंग प्रोग्राम के कुछ पहलुओं की चर्चा करूँगा। यह छोटी सी पुस्तक लिखने का मेरा उद्देश्य हमारे जीवन में बदलाव लाना है, जो बेहतरी के लिए हों। - अनुपम खेर 

Book Format: PDF

Book Size: 9.07 mb

Number of pages: 164

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